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हेलो फ्रेंड्स आज में आपके साथ शनि चालीसा जो की एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक पाठ है जो भगवान शनि की महिमा और आशीर्वाद की प्रशंसा करता है। यह चालीसा चौपाई रूप में है और उसमें शनि देव के गुण, महत्वपूर्ण कथाएं, और उनके भक्तों के लाभों का वर्णन होता है। शनि चालीसा का पाठ करने से मान्यता है कि शनि देव की क्रिपा से भक्त की सभी कठिनाइयों और दुखों का निवारण होता है और उसका जीवन सुखमय बनता है। यह चालीसा शनिवार के दिन विशेष रूप से पाठ की जाती है।

जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्या दास तुम,
देहु अभय वरदान॥

जय जय श्री शनिदेव भक्तन,
विद्या वन्जन सुवन।
उसके चरणों में ज्यों,
शिशु सत बार बारण॥

कृपा करि हम पर जगन,
सकल सिद्धि सुवन।
दुष्ट शनि मोचन, नयन,
करहुँ विभीषण॥

जय जय श्री शनिदेव भक्तन,
छिन छिन रूप धारा।
भूत पिशाच निकट नहि आवै,
महावीर जब नाम सुनावै॥

नौ विधि भक्ति करता,
चरही युग तव ध्यान।
धरयो अहंकार मुक्त शरण,
सदा तुम्हारे चरणन॥

जय जय श्री शनिदेव भक्तन,
चरणों में है प्राण।
विद्या करुं कोटि उपाय,
तहि नहिं समरथ कोई और॥

तुमसे यहाँ देखि संतत,
गिरिजा किन्हीं बिनती तुम्हारा।
ज्यों नागराज है शेष धारा,
काट रहे विष को फारा॥

जय जय श्री शनिदेव भक्तन,
विधि पूरण आगम।
सकल श्रृष्टि के निर्माता,
कृपा करहुँ दयाम्॥

दोहा

दास ज्ञानी ज्ञान सागर के,
जो ज्ञान प्रताप मैया।
उसके शीश जटा में,
संकट काहूं सो मैया॥

फल श्रुति

जो कोई जन गणेश भक्तन,
गावे सो नर तार जाए।
विद्या बुद्धि धन सुख की,
देहु प्रभु चरण राजे॥

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